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वैष्णव खबर

(NEWS Updates)

छात्रावास गोद लो अभियान

(वैष्णव छात्रावास अजमेर, केकड़ी व जोधपुर के लिए प्रस्ताव)

वैष्णव समाज के कई जगह छात्रावास हैं। राजस्थान में कुछ ही छात्रावासों की स्थिति संतोषजनक है। अधिकांश छात्रावासों में या तो छात्रों के लिए ताले लगे हैं या उनमें रहने वाले छात्रों की संख्या नगण्य है। ऐसी स्थिति के कई कारण हैं।

किसी भी समाज के विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। छात्रावास सीधे शिक्षा से जुड़े हैं इसलिए हमें छात्रावासों को और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।

जो भी संस्थाएँ व समाज बंधु शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं उनके लिए समाज के छात्रावासों को बेहतर बनाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह भी सही है कि सिर्फ सुझाव देने मात्र से कुछ होने वाला नहीं है। कहते हैं कि सुझाव तो बिना मांगे भी हजार मिल जाते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि हमारे समाज में शिक्षा की बात तो बहुत की जाती है पर धरातल पर देखने को कुछ नहीं मिलता।

समाज उत्थान के लिए हमारी सामाजिक संस्थाओं को शिक्षा को प्राथमिकता में प्रथम स्थान पर रखना होगा। साथ में निश्चित समयावधि के लिए लक्ष्य तय करके आगे बढ़ना होगा और समाज के प्रति जवाबदेह भी बनना होगा।

छात्रावासों को बेहतर बनाने का सुझाव मेरा है तो मेरा यह दायित्व भी बनता है कि इस क्षेत्र में मेरे द्वारा कुछ किया जाए। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए समाज के कुछ छात्रावासों को गोद लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ा जाए और अपनी जवाबदेही भी तय की जाए।

इस कड़ी में मेरे द्वारा वैष्णव छात्रावास अजमेर, केकड़ी व जोधपुर को गोद लेना प्रस्तावित है।

अजमेर छात्रावास के लिए लक्ष्य
1. लाईब्रेरी की तरफ प्रथम तल पर छरू कमरों का निर्माण कार्य कराया जायेगा। इनमें एक कमरे का निर्माण मेरे द्वारा कराया जायेगा।
2. छात्रावास की क्षमता के अनुसार और स्नानघर व शौचालय की आवश्यकता है। कम से कम एक स्नानघर और एक शौचालय का निर्माण कराया जायेगा।
3. छः माह की अवधि में यह सुनिश्चित किया जायेगा कि लाईब्रेरी की क्षमता का पूरा उपयोग होने लगे।
केकड़ी छात्रावास के लिए लक्ष्य
1. आधुनिक एवं उच्चस्तर की लाईब्रेरी  छरू माह में स्थापित कर दी जाएगी।
2. केकड़ी छात्रावास में रहने वाले छात्रों की संख्या नगण्य है। इसके कारणों का निवारण करते हुए छः माह की अवधि में छात्रावास की क्षमता के 50 प्रतिशत एवं एक वर्ष की अवधि में शत प्रतिशत छात्रों को प्रवेश दे दिया जायेगा।
जोधपुर छात्रावास के लिए लक्ष्य-
1. आधुनिक एवं उच्चस्तर की लाईब्रेरी छः माह में स्थापित कर दी जाएगी।
तीनों छात्रावास (अजमेर, केकड़ी व जोधपुर) के लिए समान लक्ष्य –
1. छात्रावास में आवश्यकतानुसार सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
2. छात्रावास में रहने वाले विधार्थियों की संख्या के कम से कम 25 प्रतिशत प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष प्रति विद्यार्थी न्यूनतम 5000 रू की छात्रवृति प्रदान की जाएगी।
3. प्रत्येक छात्रावास में सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं छात्रों को छात्रवृति देने के लिए मेरे द्वारा प्रतिवर्ष न्यूनतम रू 1,00,000/-(एक लाख रू) की राशि का योगदान दिया जायेगा जो मेरे द्वारा केकड़ी व जोधपुर छात्रावास में लाईब्रेरी स्थापित करने में दिए जाने वाले योगदान के अतिरिक्त होगा।
4. छात्रावास शुल्क की समीक्षा की जाएगी। शुल्क का निर्धारण न लाभ न हानि के आधार पर किया जायेगा जिसमें सिर्फ पानी व बिजली का खर्च जोड़ा जायेगा।
5. प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाएगी।
6. छात्रावास की छः माही प्रगति रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।
7. हिसाब-किताब में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी व आय व्यय का विस्तृत वार्षिक लेखा जोखा सार्वजनिक किया जायेगा। किसी भी समाज बंधु का कोई प्रश्न होगा तो उसका जवाब अवश्य दिया जायेगा।
8. स्वैच्छिक जन सहयोग का स्वागत किया जायेगा। ऐसे सहयोग का एक एक पैसा सीधे विद्यार्थी हित में खर्च किया जायेगा।
9. गोद लेने की अवधि तीन वर्ष हो सकती है।
कम से कम राजस्थान में तो यह प्रयोग नया होगा। इसे अवश्य आजमाना चाहिए। किसी भी समाज बंधु का मेरे इस प्रस्ताव पर कोई प्रश्न हो या सुझाव हो तो स्वागत है। सभी सम्बन्धित छात्रावास समितियों से निवेदन है कि मेरे इस प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा करने के लिए शीघ्र मीटिंग बुलाई जाए। धन्यवाद।
 
प्रस्तावक एवं निवेदक . किशन लाल वैष्णव तिहारी जिला अजमेर।
 
 

बहुत बहुत बधाई-शुभकामनाएं

डॉ. स्वप्निल वैष्णव तथा डॉ. शश्विता वैष्णव

वैष्णव ब्राह्मण समाज तथा अपने परिवार का नाम रौशन किया दोनों बेटियों ने। डॉ. स्वप्निल वैष्णव सुपुत्री भुवनेश वैष्णव, कोटा महासचिव, अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण समाज, मुम्बई तथा डॉ. शश्विता वैष्णव सुपुत्री श्री नरेन्द्र वैष्णव, कोटा राजस्थान ने।

वैष्णव शक्ति परिवार की ओर से दोनों बेटियों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

आप दोनों भविष्य में भी निरन्तर इसी प्रकार समाज और परिवार का नाम रौशन करते रहें।

संपादक

वासन्ती मनोभाव

सूर्य का अयन परिवर्तन अर्थात दक्षिणायन से उत्तरायण गमन तो मकरसंक्रान्ति से ही प्रारम्भ हो जाता है। इस अवधि में दिन बङे होने लगते हैं और परिवेश में उष्णता सहज ही अभिवृद्धित होने लगती है। माघ मास की शुक्लपक्षीय प्रतिपदा से नवमी तक की अवधि को सनातनीय ऋषि संस्कृति में गुप्त नवरात्रा अवधि माना जाता है जो जप-तप व सिद्धिसाधना का अत्यधिक अनुकूल समय माना जाता है। गुप्त नवरात्रा के मध्यान्ह अर्थात पंचमी को बसन्त पंचमी-पर्व मनाया जाता है।बसन्त पंचमी को ही विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती पृथ्वीलोक पर अवतरित हुई थी। इस वर्ष यह पावनपर्व 2 फरवरी को सम्पूर्ण भारतवर्ष में पूर्णतः उत्साह, उमंग और उल्लास से मना गया।

बसन्त पंचमी निसन्देह, बसन्त ऋतु के आगमन का आव्हान करती प्रतीत होती है। इस अवधि में सम्पूर्ण प्रकृति, वासन्तीय परिधान धारण करने लगती है अर्थात चहुँदिश समशितोष्णता समाविष्ट होने लगती है। शीतकालीन ठिठुरन उङन-छू होने लगती है तो मनोभावन उष्णता आत्मीय आनन्द अभिवृद्धित करने लगती है। सम्पूर्ण प्रकृति वासन्ती परिधान अर्थात हरितिमा से ओतप्रोत होने लगती है। केवल उद्यान पादप ही नहीं अपितु वन्य सूखे ठूंठ भी हरे भरे होने लगते हैं। सम्पूर्ण वन-उपवन पुष्पीय परिधान से शोभित होने लगते हैं। दिन प्रतिदिन सम्पूर्ण परिवेश असीम आनन्दमयी होने लगता है। सम्पूर्ण परिवेश में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण से समस्त वन-उपवन ही नहीं अपितु प्रकृति का कण-कण महकने लगता हैं।

वासन्तीय परिवेश अर्थात प्राकृतिक समशितोष्णता से सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश में आमूलचूल परिवर्तन हो जाता है। कितना अच्छा हों यदि मानवीय अन्तर्मन भी वासन्तीय मनोभाव से सराबोर हो जाय! भावात्मक तापमान के आधिक्य की अति अर्थात आक्रोशित व अहंकारित आचरण के अनाचार अथवा भावात्मक तापमान की न्युनता के आधिक्य अर्थात अकर्मण्यता व असफलता के अवसाद से विमुक्त हो जाय। प्रत्येक जन-मन शतप्रतिशत वासन्तीय मनोभाव अर्थात अर्थात नीर-क्षीर दायित्वधर्मी मनोभाव से सराबोर हो जाय। यदि ऐसा होता है तो सृष्टि के समस्त आक्रोश-अवसाद-अभाव और वाद-विवाद-विषाद सहज ही समाप्त हो जाये। यकीनन सम्पूर्ण सृष्टि का परिवेश अत्यधिक सुखद, समृद्ध, सकुनदाई और स्वर्ग से भी सुन्दर हो जाये।

– गोपीदास रामावत